शिव स्तुति
*शिव-स्तुति*
शिव-स्तुति
जय-जय-जय हे भोले शंकर।
हरहु आइ भव-कष्ट भयंकर।।
हे गिरिजापति डमरू धारी।
कर त्रिशूल कैलास बिहारी।।
हे मयंक-धर,देवन्ह देवा।
सुरसरि-वेग थामि सिर लेवा।।
आवहु करउ जगत-उद्धारा।
असुर-प्रकोप बढ़ा संसारा।।
गौर वर्ण कर्पूर समाना।
घटै जाहि लखि विपति-निधाना।।
करुना-सागर,संकर, दानी।
पिघलहिं सिव सुनि बम-बम बानी।।
चिदानंद-दुख भंजनकारी।
हे सिवसंकर, हे त्रिपुरारी।।
तुमहिं नाथ ओंकारक मूला।
भव-भय-हारक,मारक सूला।।
कामदेव-रिपु,दीन दयालू।
नीलकंठ प्रभु,भगत-कृपालू।।
गुनागार, संकर भगवाना।
निज भगतन्ह कै करि कल्याना।।
मेटवहिं जगत सकल अँधियारा।
ग्यान क दीप बारि उजियारा।।
कान म कुण्डल, नयन बिसाला।
गर महँ ब्याल पहिरि मृगछाला।।
नंदी बृषभ बैठि सिव चलहीं।
भूत-पिसाच संग अनुसरहीं।।
द्वादस लिंग रूप जग पूजै।
एक मात्र सिव देव न दूजै।।
दोहा-ब्यापक ब्रह्म स्वरूप सिव,महाकाल भगवान।
सुनि पुकार निज भगत कै, धाइ करैं कल्यान।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
Arti khamborkar
21-Sep-2024 09:24 AM
awesome
Reply
madhura
14-Aug-2024 07:49 PM
V nice
Reply